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तारा तो चमके है रात, महलों में दिवलो जल रह्योजी, अचलादेवीजी जायो है पूत, देवियां उत्सव करेजी, सूरज ऊगियो तिनवार, विश्वसेन राजा रे घर बधावना जी, मोच्छ व मण्ड्यो तिनवार, हथनी सिगारियाजी बैठा शान्तिनाथ भगवान, मंगल बाजा बाजताजी, झालर रे झणकार दुनियां सगली जागतीजी संयम लिया भगवान, तीरथ चार स्थापियाजी। प्रभुजी तो दियो उपदेश, शांति वरतावियाजी । समेत शिखर पर्वत पर, मोक्ष सिधारियाजी ॥२॥ ___ तारा तो चमके है रात, महलों में दिवलो जल रह्योजी। सेवादेवीजी जायो है पूत, देवांगणा उत्सव करेजी । सूरज ऊगियो तिणवार, समुद्रविजयजी राजा रे घर बधावनाजी। मोच्छव मंड्यो रिणवार हथनी सिनगारियाजी। बैठा अरिष्टनेमी भगवान मंगल बाजा बाजताजी। झालर रे झणकार दुनियां सगली जागतीजी, प्रभुजी तो संयम आदरिया, तीरथ चार स्थापियाजी । प्रभजी तो दियो उपदेश, पशुव छुडावियाजी। गिरनार पर्वत पर, भगवंत मोक्ष सिधारियाजी ॥३॥
__ तारा तो चमके है रात, महलों में दिवलो जल रह्योजी, वामादेवी जायो है पूत, देवांगणा उत्सव करे जी सूरज ऊग्यो तिणवार, अश्वसेन राजा रे घर बधा
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