SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्धारथ बोलया, पुत्र तीर्थकर होसी सजनी ॥१०॥ हम कुल नन्दन तुम तिलक ललाटो, त्रिभुवन स्वामी होसी सजनी । ये सपना राजा सुन हर्षा तो, धर्म जागरण कीधी सजना ॥११॥ ये सपना मरुदेवी ने देख्या. तो नाभि राजा घर बधावना। ये सपना अचला देवी देख्या, विश्वसेन घर बधावना ॥१२॥ ये सपना सेवादेवी देख्या, समुद्रविजय राजा घर बधावना । ये सपना वामादेवी देख्या, अश्वसेन राजा घर बधावना । ये सपना त्रिशलादेवी देख्या, सिद्धारथ राजा घर वधावना ॥१३॥ ।। झालर, हथनी, तारा, दीपक, सूरज, बधावना ।। (तर्ज-बागां में बाजा जंगी ढोल) तारा तो चमके है रात, महलों में दिवलो जल रह्योजी, मोरादेवीजी जायो है पूत, देवांगणा उच्छव कोजी, सूरज ऊगियो तिणवार, नाभि राजा रे घर बधावाजी, मोच्छव मण्ड्यो तिणवार, हथनी सिनंगारिया जी, बैठा आदेश्वर भगवान, मंगल बाजा बाजताजी, झालर रे झणकार, दुनिया सगली जागतीजी, संयम लिया भगवान, तीरथ चार स्थापियाजी, प्रभुजी तो दियो उपदेश, जगलिया धर्म निवारियाजी, अष्टापद ऊपर भगवंत मोक्ष सिधारियाजी ॥१॥
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy