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आधी रात पहर को तडको निद्रा में देख्या भला चौदह सपना ||१|| सपना देखी ने ततक्षण जागिया, धर्म जागरण कीधी सजना । ये सपना सुखदाई आया, अर्थ पूछने जाऊं सजना || २ || गजगमणी चाल सुं महलां सु उतरया, पिउजी के महलां आया सजना | पोढ़या जानी ने कंथ जगावां, मधुरी वाणी बोलया सजना ॥ ३॥ वाणी सुनी सिद्धारथ जाग्या, किस कारण तुम आया सजनी | भद्रासन बैठन को दीनो तो, सुखसाता तब पूछी सजना ||४|| राजा रानी सन्मुख बैठ्या, बात करे वे तन मन अपना । आधी रात पहर को तड़को, निद्रा में देख्या भला चोदह सपना || ५ || ये सपना शुभकारी आया, अर्थ पूछने आई सजना सन्मुख बैठी शंका मती राखो, बात करो तन मन अपना || ६ || पहला सपना में गयवर देख्या, दूजे में ऋषभ सुहावना । तीजे सपना में सिंहज देख्या, तो चौथे में लक्ष्मी देवता ॥७॥ पांचवे सपना में पंचवर्णो माला, छठे में चन्द्र अमी
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जरे । सातवें सूरज, आठवें ध्वजा, नवमें कलश रत्ना जड़ियो ||८|| पदम सरोवर दसमां देख्या, क्षीर समुद्र स्वामी ग्यारहमां । देव विमानज बारहमां देख्या, रुणझुण घन्टा बाजन्ता ॥ ९ ॥ रत्नां री राशि तेरहवीं देखी, धूप शिखा स्वामी चौदहवां । सपना सुनी
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