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॥ दीपक मेहन्दी अन्डीयाने ।
माता मोरादेवीजीबैठरिसे अमर लाल, ये तो दिवालो बले जगमग रे लाल थे तो ओढो चंदड सुहावणी रे लाल ॥टेर।। ये तो हाथों में मेहन्दी राचती रे लाल, ये तो ओढण चीर चन्दडी रे लाल ॥१॥ ये तो जल भर झारी हाथ में रे लाल, ये तो जावे आदेश्वर रे पाप्त में रे लाल॥२॥ थे उठो उठो ऋषभकुमार मेरे लाल, थे तो करोनी दान्तनियां वेग सं रे लाल । ३। आ तो फीणा रोटी दहि पास मे रे लाल, थे तो करोनी कलेवो प्यार सं रे लाल ॥४॥ये तो सीरा ने पूडी लापसी रे लाल, ये तो लाडू पेडा नक्ती पास में रे लाल ॥५॥ ये तो करोनी जीमणियां आदेश्वर रे लाल, ये तो जीम छूटन ने चलु करयो रे लाल ॥६॥पचे त्याग्या है सारा संसार ने रे लाल, ये तो चैत्र वदी ने संयम आदरया रे लाल ॥७॥ ये तो धर्म घणा प्रकाशिया रे लाल, ये तो अष्टापद पर पहँच्या निर्वाण रे लाल ॥८॥
॥वीरा ॥ ___ (तर्ज-रे जीवा विमल जिनेश्वर सेवीये)
ओ वीरा ऊंची सी मेढ़ी ढलकती, ज्यांरा छ बजड़ किवाडजी मांहे, अंधारे बोलयो कूकडो ॥१॥ वे तो ननन्द भोजाई दोनूं पोढ़िया, वे तो सूता छे सुख भर
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