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माताजी डोड्यारेमांय सहेलियां पहुँचाईघोखे तांईजी वीरा बाईरा ठेठो औ ठेठ गूंथ लायो मारी मालन सेवरोजी।४॥ धीवड़ पहुँचाई पाछा फिरिया, जी छूटी आंसूडा री धार. गंथ लायी माहरी मालन सेवरोजी ॥५॥ ए दिवर जेठाणियां ने वीनवू ए, कोई मत जीणजो धीव के ले गयो ए ले गयो कालजियो लूंय गूंथ लायी मारी मालन सेवरोजी ॥६।। नगरी लोकां ने वीन ए, कोई मत जीणजो धीव के ले गयो ले गयो कालजियो लंय ग्रंथ लायी मारी मालन सेवरोजी ॥७॥इति॥
॥ ताग सूरज हथनी बधावा ॥
(तजं : ओ सुरंगों रंगो केवडो रे लाल) रातरा तारा ऊगियो रे लाल, ये तो दिन ऊगा सूरज रो उद्योत माहरालाल, हथनी चाली मलकती रे लाल, आ तो गई वनिता री पोल माहरा लाल, मोरादेवी नन्दन जनमिया रे लाल, आदेश्वर भगवान माहरा लाल, नाभि राजा रे बधावना रे लाल, ये तो अष्टापद मुगतियां गया माहरा लाल ॥१॥ रातरा तारा ऊगियो रे लाल, ये तो दिन ऊगा सूरजा रो उद्योत माहरा लाल, हथनी चाली मलकती रे लाल, आ तो गई हस्तिनापुर री पोल माहरा लाल, अचला
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