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देसी अन्न धन भण्डारोजी ॥२॥ तीजोडो मंगल वरतियो, टूटा मामोसा है आपो जी, मामो सा टूटा ने काई देसी, देसी मायरो पेरायो जी ॥३॥ चौथोडो मंगल वरतियो, टूटा नवलादेवी मायोजी माताजी टूटाने कांई देसी, देसी हिवडा रो हारोजी ॥४॥ पांचमो मंगल वरतियो, टूटा ताराचंद वीरो सा । वीरो सा टूटाने काई देसी, देसी पांच पचास रो दीवलो जी ॥५॥ पांच पचास रो दीवलो पदमा रे आंगण जिगसीजी पदम सरीखी बेनड कद मारे आंगण फिरसीजी । कद मारे आंगण रमसीजी ॥६॥इति॥
॥ बच्छराजा की चौथी ढाल ॥
(तर्ज : गूंथ लायी मारी मालन सेवरीजी) आवोनी साला तू मत वाला देनी बेनड ने सीखडी, ले जा साँ ओ ले जासां थारी बेन गंथ लायी मारी मालन सेवरो जी ॥१॥ आवोनी साली तू चीर झाली देनी बेनड ने सीखडी ले जासां ओ ले जासां थारी बेन ओ गूंथ लायी मारी मालन सेवरोजी ॥२॥ आवोनी लाडी बैठोनी गाडी, देनी पीजणिये पाव जी आज रो वासो आपरा सहर में जी थारो परायो है देश गूंथ लायी माहरी मालन सेवरोजी ॥३॥ बाबोसा पहुँचाया आंगणिये जी
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