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________________ ओ टीकण पधारियाजी ॥। ११॥ चोखा कुंकूरा रानी तिलक कराया तो चावल रे वदले ओ बिच्छू छेडियोजी ||१२|| जितरे वच्छ राजाजी गुणिया नवकार तो बिचूडो मोतीडा रो तिलक होय गयो जी ॥१३॥ आला तो लीला बाबोसा बांस बढावो तो नव-खंडी वेश मंगावजोजी ||१४|| चारों ही दिशा बावोसा तणी ये बंधावो तो ऊपर रालो बाला चून्दडीजी ॥ १५॥ आला तो लीला बाबोसा धोब मंगावो तो खेजड़ मंगावो जूनो झाड़ रोजी ॥ १६ ॥ चारों ही दिशा बाबोसा खूंटीयां रोपावो तो तणी ए तणावो काचा सूतरी जी ॥१७॥ जऊ ने तिलारो बाबो सा होम करावो तो घिरत मंगावो गोरी गायरो जी ॥ १८ ॥ भणिया तो गुणियो बाबोसा पण्डित बुलावो तो, हरख हथलेवो बाई रो जुडावियोजी ।।१९।। इति ॥ ॥ वच्छ राजा की तीसरी ढाल || ( तर्ज-- पेलोडो मंगल वरतियो, टूटा बाबो सा है ।) पेलोडो मंगल वरतियो, टूटा बाबो सा है आपोजी, बाबोसा टूटा ने कांई देसी, हाथी केरो आ जोडोजी देसी गुडलारी आ जोडोजी ॥ १॥ दूजोडो मंगल वरतियो, टूटा काको सा है आपोजी काको सा टूटा कांई देसी, 53
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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