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________________ रे हाथ रंगाय ॥८॥ कुण मांड्या ओ मानेतन थारा हाथ, माहरा मांड्या ओ देवांगण हाथ ॥९॥ रंग भर दिवलो जल रह्यो, वह तो जल रह्यो बणारसी रे माय ॥१०॥ अश्वसेन राजा मेहन्दी मोलवे, माता वामादेवीजी रे हाथ, रंगाय ॥११॥ कुण मांड्या ओ मानेतन थारा हाय, माहरा मांड्या ओ देवांगणा हाथ ॥१२॥ रंग भर दिवलो जल रह्यो, वह तो जल रह्यो कुण्ललपुर रे माय ॥१३॥ सिद्धारथ राजा मेहन्दी मोलवे, माता त्रिशला देवीजी रे हाथ रंगाय ॥१४॥ कुण मांड्पा ओ मानेतन थारा हाथ, माहरा मांड्या ओ देवांगणा हाथ ॥१५॥ इति ।। ॥ वीरा और चूंदडी ॥ (तर्ज : माथन मेमद लावजो रे बोरा) माथन मेमद लावजो रे वीरा, रखडी रतन जडाय जामन जाया, चुंदड लावजो ॥१॥ चुंदड-चूंदर काई करो ए बाई, मंगाय दूं दोयन चार जामन जायी, चूंदड मंगाय दूं॥२॥
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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