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आजु तो बाजु साकिया ए वीरा, अध-बीच लिखियो चांद जामन जाया,
चूंदड लावजो ॥३॥ भरिया पंचां में ओढावजो रे वीरा, देखेला सगला ही लोक जामन जाया,
__चूंदड लावजो॥ कुण्डलपुर रे चौवटे ओढावजो रे वीरा, देखेला सगला ही लोक जामन जाया,
चूंदड लावजो ॥ इसडी तो चंदडियां ओडावजो रे वीरा, देखेला देवर जेठ जामन जाया,
चूंदड लावजो ॥
|| बधावा व झालर ॥ (तर्ज : आज तो बधावो राजा नाभि रे दरबार) घणण-धणण घंटा बाजे देव करे उच्छाव रे । झणण-झणण झालर बाजे देवियां करे उच्छाव रे। आज तो बधावो राजा नाभि रे दरबार रे। मोरादेवीजी बेटो जायो ऋषभ कुमार रे। आज तो बधावो राजा नाभि रे दरबार रे। घणण-घणण घंटा बाजे देव करे उच्छाव रे।
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