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देव विमानीक स्वामी बारहमा दौठा तो,
• रुण-जुण घंटा मादल बाजियाजी ॥५॥ रत्नारी राशि स्वामी तेरहमा दीठा तो,
अग्नि दीठा ओ स्वामी चौदहमाजी ॥६॥ चौदह ओ सपना तो दीठा है रानी तो,
रानी ओ राज जगावियाजी ॥७॥ जागो-जागो ओ माहरा सिद्धारथ राजा तो,
इन सपना रो स्वामी फल किसोजी ॥८॥ इन ने सपना रो रानी फल ऐसोजी, तीर्थंकर-चक्रवती आपरे होसी तो,
कुल माहे कलश चढ़ावसोजी ॥९॥ चैत्र सुदी तेरस ने तीर्थकर जनमिया तो,
छप्पन कुमारियां मिल आवियाजी ॥१०॥ सोनारी छुरिया तो नालो पर नाल्योतो,
रत्नां रा थाल बजावियाजी ॥११॥ गंगा जल नीर नवायने लीधा तो,
वस्त्र पीताम्बर पलेटियाजी ॥१२॥ स्नान कराय ने हाथ माहें लीधा तो, माताजी रे पास पोदावियाजी ।।
धर्म पालणिये पोढावियाजी ॥१३॥
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