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________________ श्री नेमिनाथजी स्वामी लियो अवतार ॥२१॥ समुद्रविजयजी राजा सेवादेवीजी मांय, शोरियापुर नगरी में लियो अवतार, धन-धन ओ सेवादेवीजी मांय, बाईसमा श्री अरिष्टनेमीजी लियो अवतार ॥२२॥ अश्वसेन राजा वामादेवी नार, बणारसी नगरी में लियो अवतार, धन-धन ओ वामादेवी मांय, तेईसमा श्री पार्श्वनाथ स्वामीजी लियो अवतार ||२३|| सिद्धारथ राजा त्रिशलादेवी नार, कुण्डलपुर नगरी में लियो अवतार । धन-धन ओ त्रिशला देवीजी मांग, चौवीसमा श्री महावीर स्वामी लियो अवतार ||२४|| इति || || चौदह सपना || ( तचं - गुणभर ओरी ने पोढिया है गोरी तो ) गुणभर ओरी ने पोढ़िया है गोरी तो, चौदह ओ सपना रानी रतेमी || १ || पेले ओ सपना में गयवर दीठा तो, दूजे ओ ऋषभ सुलक्षणोजी ॥ २॥ तीजे ओ सपना में सिंह जो दीठा तो, चौथे ओ लक्ष्मी देवताजी पांचमी पांच वरणांरी ओ माला तो, छट्ठे ओ चांद अमी झरेजी ||३|| सातमा सूरज, आठमा ध्वजा तो, नवमो कलश रत्नां जडियोजी । पद्म सरोवर स्वामी दसमा ओ दीठा तो, क्षीर समुद्र स्वामी ग्यारहमाजी ॥४॥ 37
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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