________________
सांजी का गीत-संध्या के समय बोलने का गीत ॥
(तर्ज-कपूरा रा लिया पय सार के ।) कपूर सरिखो ये तो ऊजलोजी, सांझ समय रे मांय के, सभी सांझ दियो बलेजी ॥ परणीजे सा पिताजी रा पूत के, जहाँ घर मंगल वरतियाजी ॥ परणीजे सा काकाजी री धीव, जहाँ घर हर्ष बधावनाजी ॥ दीवा सरिखा होयजो बौंद राजा तो, कुल में अंधारो मेटजोजी ॥ दीवा ज्यूं दीपो कुल मांय के, जय-जयकार करावजोजी ॥
॥ वारणा ॥ (तर्ज-जी माने मेलां चढंता ।) .. जी माने मेलां चढंता, कांकरो कुण राल्योजी राज, जी उज्जवल दंति रा बनासा, गाडो हेत लगायोजी राज ॥१॥ जी माने भोजन करता ऐंटो मति नाकजो जी राज, जी उज्जवल दंति रा बनासा, गाडो हेत लगायो जी राज ॥२॥ जी माने पाणी पीवंता, अनछान्यो मति पायजो जी राज, जी उज्जवल दंति रा बनासा, गाडो हेत लगायो जी राज ॥३॥ जी माने कपडा पेरन्ता खादी रातो पेरायमोजी राज, जी उज्जवल दंति रा बनासा गाडो हेत लगायो जी राज ॥४॥ जी माने
123