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नीसरीजी ॥१८॥ शोभा तो थानी होसी घणीजी, पावोला रिद्धि-सिद्धि अपार के। भारी बधावन बायां नीसरीजी ॥१९॥ उकरडी पूजन चौथो कह्योजी, इन मायें गुण अपार के । उकरडी पूजन बायां नीसरीजी ॥२०॥ कचरा तो डाले इन मायने जी, कमल ऊगे इन मांय के । उकरडी पूजन बायां नीसरीजी ॥२१॥ हार गाड बायां आवती जी, बना-बनी लावे छे काढ़ के । उकरडी पूजन बायां नीसरीजी ॥२२॥ उकरडी ज्यू थे बन जावजोजी, समता राखो मन मायके । उकरडी पूजन बायां नीसरी जी ॥२३॥ हार ज्यू हृदय में बैठसोजी, कमल सुगंध ज्यं यश फैलसीजी । उकरडी पूजन बायां नीसरीजी ॥२४॥ ऐसी सिखावण सगली देवतीजी, बना-बनी लेवे हृदय धार के। उकरडी पूजन बायां नीसरी जी ॥५॥
_ विनायक
(तर्ज-जब तुम्हीं चले परदेश) माता पृथ्वी के नन्द, करो आनन्द, सदा सुख पावो
. जो गौतम गणपति ध्यावो टेर।। जय-जय गणेश, जय गण नायक, जय-जय गणधर जय शिवदायक, लाखों नर-नारी देव-देवी गुण गावे
जो गौतम गणपति ध्यावो ॥१॥
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