________________
काज सुधारो, में हूँ भक्त तुम्हारा रे, गादी नीचे रख दो जो अवगुण है मारा रे। प्यारा प्रभु हार हियारा रे ।।४॥ आप सरीखा देव जगत में और नजर नहीं आया रे । बुद्धमल राय प्रसादे, मुनि मिश्रीमल गायर रे, दीजो वर जय-जय कार रे॥१५॥ इति ।।
। विरद बडी का गीत ॥ (सर्ज-ऐसी बिरदयां में बधाने लेस्यों वर्द्ध मान स्वामी जिन शासन शृंगारो, सोलह मासा रो एक सोनयो जानो, एक दिन मायें एक कोड आठ लाखो, इसडो तो दान दियो वर्द्धमानो, उन दिनां . सु आ वृद्ध बढी कहलायो, बना-बनी दान-हाथ भर-भर दोजो। धर्म, जात, समाज रो भलो थे कीजो, उदार भावना विवाह वाला मन राखो। कंजूसपना सब त्याग करावो, ऐसी-ऐसी विरदयां माता ले जो बधाई, शद्ध सोना सुं बधाई ने लीजो, उजला मोतियां सु बधाय ने लीजो। खादी रा कपडा सुं बधाय ने लीजो, केसरिया कसुम्बल सुं बधायने लीजो । दान दिरावेला लाडलडारा बाबोसा, हर्ष मनावेला लाडलडीरा माता। जय विजय होयजो बर्द्धमान जिनन्द ।।
115