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कहलावोगी, जब राखोगी लाज तुम आंख में ॥१॥ जेठानी जो बड़ी है तुमसे, उससे कभी न तुम लडना। देवरानी को बहन समझ कर, उससे कभी न जोर करना । सुशीला लज्जावती कहलावोगी, जब-जब राखोगी लाज तुम आँख में ॥२॥ सामायिक पडिक्कमणो आदि, धर्म क्रिया को मति भूलना, परलोक जाते जीव साथे, धर्मकरणी एक चलता है, यश कीति पाओगी जग में, जब राखोगी लाज तुम आंख में ॥इति।।
|| गणधर ॥
॥ विनायक ।।
मारा रिद्धि-सिद्धि रा दातार विनायक गौतम प्यारे रे ।।टेर। वसुभूति ना नन्दनजी का, पृथ्वीदेवी जाया रे । वीरप्रभु ना शिष्य पाटवी, कंचनवर्णी काया रे । जिन धर्म दुलारा रे ॥१॥ ज्ञान खजाना पूर्ण भरिया, विघ्न मिटावन हारा रे । दल, जंगल, दुश्मन मद गाले, टाले भय जो सारा रे, भक्तजनों की रखवारा ॥२॥ कलियुग में निर्धन राजादि, जपिया मंगल माल रे। चिन्तामणि सम चिन्ता चूरे, काटे कर्म का जाला रे। दयाल है दातार रे ॥३॥ आवो विनायक
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