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॥ बना ॥ (देसी : सारी-सारी रात तेरी याद सताये) सुन-सुन बनी तेरी शादी रचायी, शादी रचायी तेरी व्याह रचाया रे ॥ सुन-सुन बनी तेरी शादी रचायो । टेर ॥ पिताजी ने गोद खिलाया, माताजी ने दूध पिलाया, प्रीत पुरानी अब तो हुई परायी ॥१॥ मामाजी ने मायरो भराया, मामाजी ने चून्दडी ओढाई प्रीत पुरानी अब तो हुई परायी ॥२॥ बहनोई सा ने बंदोली कढाई, बेनडजी ने तुफा उतारे, प्रीत पुरानी अब तो हुई परायी । सुन-सुन बनी तेरी शादी रचायो ॥३॥ फुफाजी ने बरात कढाई, भुवाजी ने आरती सजायी, प्रीत पुरानी अब तो हुई रे परायी । सुन-सुन बनी तेरी शादी रचायी ।।४॥
|| बना ॥ (तर्ज-जरा सामने तो आओ छलिये) जरा सुनो ए मेरी लाड़ली, जब जाओगी तुम ससुराल में, सासु ननन्दों का कहना मानना, यही तेरे जीवन का सार है ॥टेर॥ सासु जब तुम्हे काम बतावे, उसे कभी न तुम टालो, छोटे देवर जी को भाई समझ कर, लिखना-पढ़ना तुम सिखाओ। विनयवती हम
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