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॥ विनोद से गीत ||
(तर्ज-- अंबाजी पाका मरवण नींबू जी पाका । ) आडो तो खोल ए बनडी आडो तो खोल, बारे ऊभा है थारा सायबा, ऊंघाली बनडी आढो तो खोल ||| तू तो सूती है बनडी खूंटी ने ताण, सीयाँ मरे ॥टेर ॥ है थारे सायंबा, ऊंघाली बनडी आडो तो खोल ॥१॥ सरमाँ मरे ने सायना मूँडने बोले, जाणे सुसरो जी सुनसी बोली || २ || मोटा घरारा छोरा लाजजी राखे, बूम आंछे नहीं पाडे || ३ || कूंटो खटकायो बनडी तोय न जागी, चूल्यो उतारण मनमें ठाणी ||४|| खटको सुनन्तां गोरी झटके सुं जागी, आडो खोले ने सायबा भेटया || ५ || बनडी तो बोली मारो पहलो कसूर, सायबा मुलकाये माफी दीनी ॥ ६ ॥ 'धीरज' धरे ने धीरे बोल्या श्रीनाथ चूके है मोटा-मोटा लोग ॥७॥ इति ॥
॥ बना ॥
( तर्ज - साहब भले विराजोजी )
में तो खादी पहरांजी माने वनासा लादो खादी पहराजी मलमल वायल दाय न आवे, छींटा सुं मन फाटो । चले घणो ने खरचो थोडो, पहरां कपडो काठो ॥१॥
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