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बिना काम किया सुं बनासा, कूण जगत में पूछे । खाली बैठे वाने ऊँदी-ऊँदी, कुबुद्धियाँ सूझे ॥७॥ इण कारण सं चरखो माने, वेगो लाय दिराको । गप्पा झगड़ा मिटे घरों घर, अरजी मान लिरावो ॥८. झीणो-झीणो तार कातसाँ, गाय-गाय शभ गीत । 'धीरज' धरने चरखो कातो, बढ़े देश सं प्रीत ।।९।
* बना
(तर्ज-काली कमली वाले तुमको लालो प्रणाम ।)
बनडी जोवे वाटां बनसा आवो सही, बैठी झांके हाटां बनसा आवो सही टेर।। पूरी करली आप पढ़ाई, लगी कमाई हुई सगाई, बाने बैठन वेगा बनाता आवो। सही ॥१॥ कसरत करते डील बनायो, चेहरा ऊपर नूर सवायो, जाऊँ बलिहारी वारी बनासा आवो सही ॥२॥ बनडी ईश्वर सं वर मांगे, गौर वरण वर नजर न लागे, कालो डोरो बांधो बनासा आवो सही ॥३॥ उमावाँ में बनड़ी गेली, आप कदी खबरों नहीं मेली, ऊबी काग उड़ावे बनासा आवो सही ॥४॥ बनडी ने 'श्रीनाथ' सुहावे, 'धीरज' धरने दिवस बितावे, मन री रलियाँ पू ण बनासा आवो सही ॥५॥
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