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________________ ( ८७ ) तो ॥ दोनो राय मिली फिरे, जोवे नयर मांगे घर घोरे तो ॥ शु० ॥ २१९ ॥ शिवकारूढ जयसुन्दीरी, मिलवा निकली दासी चारूं चौर तो ॥ गलिया २ फिरतां फिरे, तिण गरीबानें कुछ लखे नोर तो ॥ नीम कहे मिले तो ठीक छे, नहीतो मरणो म्हने निश्चय थोरै तो ॥ पूछ तल्लास करतां थकां, सहू जाए या ग्रामने घोरें तो ॥ शु० ॥ ॥ २२० ॥ दोनो नाई रमता हुंता, इत्ते मनुष्य वृन्द आयो जोय तो ॥ कुमर पितानें चोलख्या, दोडी कूम्या जीमजीने दोय तो ॥ दोनू नृप कडीया लिया, शररि जयो छे श्याम वरणोय तो ।। माथे लटूर्या बिखरीया, गीदड चोखे सेडो नाक कोय तो ॥ शु० ॥ २२९ ॥ अयोग्य आहार नक्षण थकी, पेट फुंगीनें बण्यो छे तुम्बोय तो ॥ १ गुप्तजग. २ पेछाणे. १ बडासा, ४ किनारे,
SR No.006294
Book TitleBhimsen Harisen Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year1909
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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