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(८६) करी, मै आपको मोटाजी चोर तो ॥ दोनो तुम्बा राखीये, म्हारे चइये तो लास्यूं और तो॥ नृप कहे मुज एकही घणो, सिद्धे दोन् दिया बरा जोर तो॥ ते तिणरे. रस्ते गयो, सब जणा अाया लदभीपत पोर तो ॥ शु०॥२१७॥ राणी पुत्र देख्या नहीं, नीमजी पूछे उतारी मुख तोर तो ॥ कोइ कहे सेठाणी कहाडीया, कोपडी बालीने मार्या कठोर तो॥ वीजयसेण अमरत जया, कुण दुष्टणी ये छे हराम खोर तो ॥ नीमसेण मुरछा लइ, चैतन हूइ रोवे जिम ढोर तो। ॥शु०॥२१८॥ सक्ने अांखे पाणी चल्यो, मच्च रह्यो तिण नगरमें शोर तो॥ दासी गइ राज नवनमें,
राणीथी कह्यो तुम बेन अाइ होरें तो ॥ सुण हर्षी मिलवा उठी, चेटी कहे पतो नही किण ठोर
१ दरवज्जापे. ९ अब्बी.