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________________ (२९) रखे पकडे कोइ पाइने जम तो ॥ सिंघ चिता मृग वरगडा, श्रृगालसुसल्या लीलडी प्रादी नमतो॥ भयंकर शब्द करतां थकां, रात्रविषे वने रह्या गर्म तो ॥ त्रि० ॥ ७० ॥ वित्तर केइ चेष्टा करे, कितोल करीने रह्या केइ रम तो ॥ तिणथी राणी चालक डरे, श्वेद वहे तन मरावे दम तो॥ रोवण लाग्या बालूडा, नृप कहे नाइ चुप रहो इण ठाम तो ॥ कोइ शब्द अनुसारथी, पकडसी न दीसे छायो तैम तो ॥ त्रि० ॥७१॥ अथवा वनचर नदसी, प्राण जास्ये पाछे करसो किम तो॥ समजाइ चुप राखीया, सरीर चीरणो ते करे ऊम ऊम तो॥ फाटा कपडा घोचा थकी, धूजे सरीर सुकुमाल नरम तो ॥ दोय जोजन इम प्राविया, छोटोसो तिहां आयो छे गाम तो ॥ त्रि०॥ १ फिर. २ भूतादि. ३ अन्धारो. -
SR No.006294
Book TitleBhimsen Harisen Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year1909
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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