________________
(१५)
कार्य करत तो॥ इम कोड आपस में करे, वक्त घणो यौं नयो वितिक्रत तो ॥ सामंत समजावे बहु, माने नही एकही ते कंत तो ॥ सु० ॥ ३४॥ चुपके हरीसेण उठने, नीमजीने बाथमाही ग्रहंत तो ॥ गादीपर बेठाइया दुवाइ फेराइ वाजिंत्र बाजंत तो॥जीतारी तन्नदहन कियो, सोग मिटीने हुयो सुख शंत तो॥लघू नाइ मान बधारवा, जुगराय पदप र तेहने थापंत तो ॥ मु० ॥ ३५ ॥ राष्ट्र को ष शैन्य सर्वको, मालकी दी तस करी स्वतंत तो॥
आप रहे सदा मेहेलमें, लागे ते खरच लेवे मंगावंत तो ॥ खटपटमें पड़े नही, निश्चित रही सदा जोग नोगंत तो ॥ हरीसेण चलावे राजने, नीमसेण जीना पुन्य फलंत तो॥मु०॥३६॥ नीमसेणराय सुशीला संगे, पंच इंद्रीना नोगवे नोग १ देश. २ भंडार. ३ स्ववस.
-