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बंध हो उसका फल उसको आगेके जन्ममें जरूर प्राप्त होगा। इस प्रकार यह मत्सरशत्रु मनुष्यको फसाकर दुःख देता है । इसका त्याग करनेके लिए धैर्य धारण करना चाहिए, और विचार करना कि, हे प्राणी ! तूने पूर्वजन्ममें पुण्य नहीं किए हैं जिससे धनकी, पुत्रकी, सुखकी कमी रहगई है, अब दूसरेकी ईर्ष्या करनेसे तथा पश्चात्ताप करनेसे कौनसा फायदा है व्यर्थ आगेको कर्मबन्ध क्यों करना चाहिए ? जैसा तेने किया तैसा तूने पाया इसमें दूसरा क्या करें । शैर-गदूम अज गंदम बयत जो ज जो।
अज मकाफात है अमल गाफिल मस्मो ॥ ___ जो तूने खेतमें गेहूं बोये होगे तो तू गेहं पायगा और जो जो बोये होगे तो जो पायगा इसमें तो अब फेरफार होने वाला नहीं है. ऐसा बिचार कर समभाव धारण करना । सुखप्राप्त होनेसे खुशी और दुःख प्राप्त होनेसे उदासी धारण नहीं करना चाहिए किन्तु आगे सुखप्राप्ति