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[२] ष्टता बताई है। जिसका मुख्य कारण क्या है? ऐसे प्रश्नका उद्भव अंतःकरण में स्वाभाविक ही होता है, क्यों कि जिस प्रकार मनुष्य अपनी योग्यता अनुसार आहार (भोजन) का उपयोग करता है, निद्रा आती है तब निद्रित होता है, भयोत्पादक वस्तु के बनावसे डरता है और स्त्री पुरुषके संग विषयोपभोगमें रक्त होता है, तैसे ही स्वजन स्नेहियों का पालन पोषण और शत्रुका तिरस्कार करता है, तैसे ही जगतके सब प्राणी-पशु-गौ, वृषभ, घोडे, हस्ती, मृग, शसक वगैरे पृथ्वी पर चलनेवाले चतुष्पद जानवर, पक्षी, हंस, तोते, चिडी, कउवे वगैरे आकाशमें उड़ने वाले और अर्यादि-सर्प अजगर वगैरे उरपर चलनेवाले प्राणी इत्यादि अपनी २ योग्यतानुसार आहार करते हैं. निद्रा लेते हैं, भय कारक वस्तु से डरते हैं. विषयोपभोग भोगते हैं, स्वकुटुम्बाहि का पालन पोषण
और शत्रु का तिरस्कार भी यथाशक्ति करते हैं, फिर मनुष्य में और पशु में विशेषता क्या है ?