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________________ [ ५५ ] धनेरिये वगैरा जीवोंको मारनेके लिए पानी में पखालते [धोते ] हैं, दीपक उघडा रखते हैं, जूते में नाल-कीले लगवाते हैं, रातको लीपना, भोजनादि पकाना, छाछ आदि बनना, चूल्हे [परेडे] पर चंदुवे [छत्त] नहीं बांधना वगैरा अनेक त्रस जीवके घातके कर्तव्य (काम) हैं, यह धर्मात्माको करने योग्य नहीं है, अपनी आत्मा के समान सब आत्माको जानना चाहिये | सजीवके रक्षणके कितनेक नियम ऊपर बताये हैं, इस प्रकारसे संसारमें रहते हुए और अनेक काम करते हुए जो विचारपूर्वक काम करेंगे तो बहुत से सजीवों का बचाव कर सकेंगे ! स्थावरप्राणी संरक्षण संसार के बहुत से काम ऐसे हैं कि स्थावर प्राणीकी हिंसा विना होते ही नहीं हैं, इसलिए स्थावर प्राणीकी हिंसा के दो विभाग किए हैं। यथा [१] सार्थक और अनर्थक जिस कामके किए
SR No.006293
Book TitleSaddharm Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNanebai Lakhmichand Gaiakwad
Publication Year1863
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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