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(१८) दो भाई और थे, जिन में एक का नाम प्रेमचंदजी था दूसरे का बस्तीरामजी।
छोटी उम्र में आप ने कुछ विद्याध्ययन किया । परन्तु अक्सर मारवाड में जैसा हुआ करता है, १३ वर्ष की उम्र में आप द्रव्योपार्जन के लिये परदेश गये । छोटी उम्र होते हुए भी आपने साहसपूर्वक व्यवसाय किया । और उस में कुछ अच्छी सफलता प्राप्त की । सं. १९५३ में दक्षिण में रामसागर, जिल्ला बलारी में 'शा तुलसाजी प्रेमचंदजी' इस नाम से आपने दुकान खोली, लगातार बारह वर्ष तक आप परदेश में रहे, और बड़े परिश्रम के साथ व्यवसाय कर के काफी धन कमाया । ___आप बड़े ही सरल स्वभावी, शान्त और गंभीर थे। आप का जीवन सादगी से भरपुर था। आप दुखियों के ऊपर बड़ी ही दया रखते थे । किसी के दुःख को नहीं देख सकते थे । यही कारण था किआपने अपनी दुकान पर हमेशा के लिये 'सदाव्रत' खोल रक्खा था।