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आर्यस्थूलभद्र स्थूलभद्र सबको प्रणाम कर अकेला ही वन की ओर चल पड़ा। लोग फुसफुसाते रहे
देखना, कहीं लौटकर, घूम-फिरकर कोशा के आवास की तरफ ही मुड़ेगा।
| उपवन में विराजमान आर्य संभूति के पास पहुँचकर स्थूलभद्र ने प्रार्थना कीगुरुदेव! मैं संसारसे
भद्र! दृढसकल्प विरक्त हो गया हूँ। मुझे
केसाथ आओ। अपना शिष्य बनाइए।
स्वागत है.....
स्थूलभद्र आर्य संभूति के शिष्य बनकर अपनी साधना में जुट गया।
समाप्त
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