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गुप्तचर, नन्द के पास गये और सब बात बताईं
गुप्तचर ने आकर देखा
आर्य स्थूलभद्र
महाराज ! आज तो नगर की गली-गली में यही एक नई खबर है।
अच्छा जाओ,
पता करो शकडाल के घर पर क्या तैयारी हो रही है?
कहीं छत्र बन रहा है, कहीं राज-सिंहासन, कहीं दण्ड और कहीं तलवारें, भाले।
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गुप्तचर ने सूचना दी तो राजा के कान खड़े हो गये
नन्द का मन शंकाओं के जहर से भर गया। प्रातः राजसभा में ज्यों ही शकडाल ने आकर प्रणाम किया। नन्द की आँखों से खून बरसने लगा। उसने मुँह फेर लिया। बार-बार तलवार की मूठ पर उसका हाथ जा रहा था। शकडाल भी नगर में फैली अफवाहें सुन चुका था। नन्द के तेवर देखते ही समझ गया
अफवाहों ने राजा
के मन को बदल
दिया है।
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अवश्य कोई षड्यंत्र है। राज-विद्रोह की योजना है।