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________________ दूसरे दिन वररुचि ने बड़ी भावपूर्ण मुद्रा में काव्य सुनाया। काव्य समाप्त होने पर शकडाल ने पूछाकविवर ! यह काव्य रचना किसकी है? (मेरी स्वयं की और किसकी ? आर्य स्थूलभद्र 600 Nawa नहीं ! कल ही मेरी पुत्रियों से मैंने ये श्लोक सुने हैं। असत्य बिलकुल असत्य ! मैंने अभी तत्काल ही ये श्लोक रचे हैं। विररुचि पर लगाये गये आरोप से सारी सभा स्तब्ध रह गई। वररुचि भी बौखला गया। तब शकडाल ने कनात में पीछे बैठी अपनी पुत्री यक्षा को पुकारा ww बेटी यक्षा ! तुम्हें ये श्लोक याद हैं? Aw M ००० यक्षा सामने आई। महाराज को प्रणाम कर उसे वररुचि द्वारा बोले गये सभी श्लोक सुना दिये। फिर उसने एक-एक करके सभी पुत्रियों को बुलाया और सभी ने बारी-बारी से श्लोक सुना दिये। # पक् महाराज ! सभी लड़कियों को यह श्लोक आते हैं। # महामंत्री शकडाल की सातों पुत्रियाँ क्रमशः एकपाठी, द्विपाठी बुद्धि वाली थीं। अर्थात् यक्षा एक बार सुनकर, यक्षदत्ता दो बार सुनकर, भूता तीन बार सुनकर यों सातवीं रेणा सात बार सुनकर कोई भी पाठ याद कर लेती थी। इसलिए यक्षा ने पहली बार सुनते ही उन श्लोकों को दुहरा दिया। 15
SR No.006284
Book TitleAarya Sthulbhadra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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