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आत्मा का दर्शन वह एक वृक्ष की छाया में लेट गया। लेटते ही उसे नींद वह लकड़ियाँ इकट्ठी कर हंडिया से आग निकालने लगा
आ गई। जब नींद खुली तो देखाHAL अरे सरजनोपनि
ओह, अब क्या करूँ। आग ओर जा रहा है, जल्दी-जल्दी
तो सब बुझ गई। भोजन बना लूँ।
उसने अरणि लकड़ी ली। उसके दो टुकड़े किये
अरे, आग नहीं निकली।
तभी उसे याद आयाअरे हाँ,काका ने अरणि लकड़ी से आग | प्रकट करने को कहा था। सो अभी
आग जलाता है।
फिर चार टुकड़े किये
ओह, अब भी आग नहीं जली। अब खाना कैसे पकाऊँगा?)
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