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________________ दूहा १ आगम रहिस अनूंप लहि, स्वामी भीक्खू सार। - सुद्ध सरधा सोधी सही, वलि आचार-विचार।। २ दान सुपातर' दाखीयौ, संत मुनि नैं सार। असंजती नैं आपीयां, एकंत पाप असार२॥ ३ 'भगवती अष्टमैं शतक भल', षष्टमुदेशै३ आप। असंजती नैं आहार दै, प्रभु कह्यौ एकंत पाप।। ४ दै ग्रहस्थ नैं दान ते, अनुमोदै अणगार। ___'नसीत पनरमैं निरख लौ, डंड चउमासी धार।। ५ सावज दान प्रसंसीयां, हिंस्या रो वांछणहार।। 'सूयगडाअंग' ५ सूत्र मैं, आख्यौ मुनि आचार। ६ श्रावक सामायक मझै, अधिकरण अति जांण।। 'भगवति सप्तम शतक भल', प्रथम उदेश६ पिछांण।। ७ व्यावच गृही नीं वरणवी, अणाचार आंम। 'दशवैकालिक' देखलौ, तीजै अधेन तांम॥ ८ श्रावक नों खाणौ सर्व, अव्रत अधिकार। वर्णन 'उवाइ वीसमें", वलि 'सूयगडांग'९ विचार।। ९ इत्यादिक जिनवर अखी०, सोधी भीक्खू स्वाम। वलि संक्षेपे वर्णवू, सूत्र साख सुख ठाम।। १. सुपात्रे (क)। २. प्रथम संस्करण में अठार' मुद्रित हो गया है वह गलत है। मूल प्रति में 'असार' है। ३. भगवती शतक ८ उद्देशक ६ सूत्र २४७। ४. निशीथ उद्देशक १५ सूत्र ७६। ५. सूत्रकृतांग. श्रु. १ अध्ययन ११ गा. २०। ६. भगवती. श.७ उ. १ सूत्र ४,५ ७. दशवैकालिक. अ. ३ गा. ६। ८. उववाई. सूत्र १६१। . ९. सूत्रकृतांग. श्रुत. २ अध्ययन २ सूत्र ७१। १०. कही। ३६ भिक्खु जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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