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दूहा
१ भारी बुध भीखू तणी, निरमळ मेल्या न्याय। ___अरिहंत आज्ञा थापनै, सरधा दी ओळखाय॥ २ चरचा कर त्यारी हुआ, तेर जणा तिण वार।
नाम कहूं हिव तेहना, भीखू गण-सिणगार॥ ३ थिरपालजी(१) फतेहचंदजी(२), बड़ा तात सुत बेह।
भीक्खू(३) आचारज(२) भला, ज्ञान कला गुण गेह।। ४ टोकरजी(४) हरनाथजी(५), भारीमाल(६) सुविनीत। सरलभद्र सुखदायका, परम पूज
पीत।। ५ वीरभांणजी सातमौ७), लिखमीचंदजी(८) । लार।
बखतराम(९) नै गुलाबजी(१०), दूजौ भारमल(११) धार।। ६ रूपचन्द(१२) नै पेमजी(९३), ए तेरा रा नाम।
नवी दीक्षा लेवा तणा, तेरां रा परिणाम।। ७ रुघनाथजी रा पांच छै, छ जैमलजी रा जोय।
दोय अन्य टोळा तणा, ए तेरैई होय।। ८ चरचा केयक बोल री, करी माहोमा तास।
केइक अल्पज चरचीया, ऊपर आयौ चौमास॥ ९ चउमासा सगळां भणी, भीखू दिया भळाय। आषाढ .सुद पूनम दिनै, संजम लीजो
ढाळ : ८
(सिंहल नृप कहै चंद नै) भीखू मुख सूं इम भणै, मुणिंद मोरा! चउमासो उत- जाण हो सरधा आचार 'मीढ्यां पछै', मुणिंद मोरा! भेळो कर सां आहारपाण हो।
ताय।।
सखर गुणां कर सोभतो ऋष भीक्खू गुणनिलो; . ' मुणिंद मोरा अधिक उजागर आप हो। ध्रुवपद।।
१. दोनों। २. आचार्य (मू.)।
३. किसको कहां करना है, आदेश दे दिया। ४. जांच पड़ताल करने के बाद।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ८.