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२. बतीस सहंस देशां मझै रे लाल, 'नरधाम मरुधर देश'।
कठैर नगर कंटाळीयौ रे लाल, कमधज राज करेश। भवजीवां रे। ३. साह बलूजी तिहां बसै रे लाल, ओसवंस
अवसंत। जाति संकलेचा जांणजो रे लाल, बड़े-साजन सुप्रसंस॥ भवजीवां रे। ४. दीपांदे तसुं भारज्या रे लाल, सरल भद्र सुखकार।
उदरे भिक्खू ऊपना रे लाल, देख्यौ सुपन उदार॥ भवजीवां रे। ५. मृगपति महा महिमानिलौ रे लाल, पुनवंत सुत सुपसाय।
सफल सुपन सुखदायकौ रे लाल, देखी हरखी माय॥ भवजीवां रे। ६. जशधारी सुत जनमीयौ रे लाल, अनुक्रम अवसर आय।
संवत सतरैसे तयांसियै रे लाल, पंचांग लेखै ताय।। भवजीवां रे। ७. आषाढ़ सुदि' पख ओपतौ रे लाल, तेरस तिथ जणाय।
'सर्वसिद्धा' त्रयोदशी रे लाल, कहै जगत मैं वाय॥ भवजीवां रे। ८. दसां मांहिलौ दीपतो रे लाल, नक्षत्र मूल११ निहाळ।
पायो चउथौ परवरौ रे लाल, जनम थयौ तिण काळ॥ भवजीवां रे। ९. जनम-किल्यांण थयां पछै रे लाल, बालभाव
मूंकाय। उत्पत्तिया बुद्धि अति घणी रे लाल, विविध मेलवै न्याय॥ भवजीवां रे। १०.सुन्दर इक'२ परण्या सही रे लाल, सुखदाई
सुविनीत। भीक्खू नै परभव तणी रे लाल, चिंता अधिकी चीत३॥ भवजीवां रे। ११. केता दिन गछवास्यां कनै रे लाल, जाता कुळ-गुरु जांण।
पाछै पोत्याबंध कनै रे लाल, सुणवा लागा बखाण।। भवजीवां रे।
१. झाड़ी बंको झाबुओ, वचन बंको कुशलेश। ६. वीसा (ओसवाल) बड़े साजन तथा नारी बंकी पूगल तणी, नर बंको मरुधर देश॥ दसा (ओसवाल) ल्होड़ा साजन कहलाते
(एक प्रचलित उक्ति) २. अरावलि पर्वत की उपत्यका के कुछ क्षेत्रों ७. पुन्यवंत (क)। का समूह--(मारवाड़ जंक्सन, सोजत रोड से ८. जनमियो (क)। कोट तक, सिरियारी, जोजावर, खिंवाड़ा से ९. सुदी (क)। सिंवास तक का प्रदेश) 'कांठा कहलाता है। १०. में (क)। ३. कांठा में 'कंटाळियो' आडवाण में बाली। ११. मूल (क)। गोढवाल में घाणेराव, मारवाड़ में पाली॥ १२. सुन्दरी/धर्मपत्नी-सुगनीबाई। (एक प्रचलित उक्ति)
१३. चित्त में। ४. राठौडवंशीय क्षत्रिय।
१४. एक संप्रदाय। ५. सकलेचा (क)।
भिक्खु जश रसायण