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आभार
इस महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रन्थ-रत्न के सम्पादन के साथ जुड़ना हमारे लिए एक परम सौभाग्य की बात है। इसके लिए आचार्यश्री एवं युवाचार्यश्री
की कृपा ही सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है। उनके प्रति जितना भी आभार ज्ञापित किया जाय वह थोड़ा ही है। ___ मुनि श्रेयांसकुमार जी,मुनि मृत्युंजयकुमार जी, मुनि चैतन्य कुमार जी आदि का भी हमें समय-समय पर सहयोग प्राप्त हुआ और हम 'भिक्षु चेतना वर्ष' में अपने आद्य आचार्य के चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित कर सके, यह हमारे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है। बीदासर
मुनि मधुकर मर्यादा महोत्सव
मुनि सुखलाल २०४९
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