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पौषध
प्रज्यायवादी फासू पाणी बंध बाल तपसी बुक्कस बोधि भाव चरित्र भाव शास्त्र मति ज्ञान मन पज्जव
श्रावक के बारह व्रतों में से ग्यारहवां व्रत, जिसमें व्यक्ति एक दिन-रात के लिए उपवास सहित सावद्य प्रवृत्ति का त्याग कर विशेष धर्माराधना करता है। पर्याय को ही प्रमुखता देने वाले। जीव रहित, अचित्त जल। कर्म पुद्गलों का ग्रहण। मिथ्यात्व अवस्था में तप करने वाला। चारित्र में अतिचार के धब्बे लगाने वाला। सम्यक् दर्शन। वास्तविक संयम। वैचारिक हिंसा। इन्द्रिय और मन की सहायता से होने वाला ज्ञान। मनोद्रव्य के पर्यायों का साक्षात् करने वाला अतीन्द्रिय ज्ञान। हिंसा आदि पापों से सर्वथा विरति। विपरीत तत्त्व श्रद्धा। विपरीत तत्त्व श्रद्धा रखने वाला। मिलावट - कुछ पुण्य कुछ पाप। अहिंसा आदि पांच महाव्रत। जीव की कर्म-मुक्त अवस्था। त्याग-अत्याग। एक लब्धि-विशेष, जिससे व्यक्ति विक्रिया-रूप परिवर्तन कर सकता है। विसर्जन करना। सेवा। हिंसा, असत्य आदि सावद्य प्रवृत्तियों का आंशिक त्याग करने वाला सम्यग्-दृष्टि गृहस्थ। हड्डियों का संहनन-जोड़। हिंसा आदि से विरति।
महाव्रत मिथ्यात मिथ्याती मिश्र धर्म मूल गुण मोख (मोक्ष) व्रत-अव्रत वैक्रिय लब्धि
वोसिराना व्यावच (वैयावृत्त्य) श्रावक
संघेण संजम
पारिभाषिक शब्द
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