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६ च्यार-तीरथ भल भाव सूं रे, देखै दरसण दीदार।
भगत' करै भीखू तणी रे, जांणै अवसर सार।। भीखू. ७ बैठा हुआ तिण अवसरे रे, ध्यान आसण श्रीकार। ____ जांणे क जिणजी विराजिया रे, न जांणी असाता लिगार।। भीखू. ८ तेरे खंडी त्यांरी हुई रे, जाणक देव विमाण।
तंतो तंत इसड़ौ मिल्यौ रे, पूज बैठांइ छोड्या प्रांण। भीखू. सुकल पख सुहामणौ रे, मास भाद्रवा माय।
तेरस तिथ दिन पाछलौ रे, आसरे डोढ़ पोहर गिणाय।। भीखू. १० प्रथम पद परमेसरू रे, त्यांरा किल्यांण पांच प्रकार।
इण विध किल्याण यांरा हुवा रे, इण दुषम काळ मझार।। भीखू. ११ सरीयारी नै सांम जी रे, 'चावी२' कीधी ठांम-ठांम।
जनम सुधारयौ जुगत सुं. रे, त्यांरा लीजै नित प्रत नाम।। भीखू. १२ साध तो भीखू सारीखा रे, आखा भरत रे माय।
हआ नै होसी वले रे, पिण आज न कोइ दिखाय॥ भीखू. १३ हिवे सोध्यां तो पावै नहीं रे, भीखू सरीखा साधा
करलो काम पड़सी चरचा तणो रे, तिण वेला आवेला याद।।
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१. भक्ति।
२. प्रसिद्ध।
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भिक्खु जश रसायण