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७ समत अठारे आठे वरस मैं रे लाल, लीधो द्रव्ये संजम भार रे। सोभागी।
गुर कीधा रुघनाथजी रे लाल, पूरी नहीं ओळख्यो आचार रे। सोभागी।। भाव. ८ काळ कितोएक वीतां पछै रे लाल, वाच्या सुतर-सिधंत रे सोभागी।
ठीक पड़यां पिछताविया रे लाल, मै तो न दीसै संत रे। सोभागी।। भाव. ९ यां'थापीता" थांनक आदल्या रे लाल, वले आधाकरमी जांण रे । सोभागी।
मोल रा लीधां माहे रहै रे लाल, यां भांगी भगवंत आंण रे। सोभागी॥ भाव. १० ववेक-विकल बालक भणी रेलाल, मूंडता नहीं संकै लिगार रे। सोभागी।
मत बांधण रे कारणे रे लाल, यां लोपी जिणवर कार रे। सोभागी।। भाव. ११ नितपिंड लागा बेहरवा रे लाल, पोथ्यां रा 'गंज'२ ठांम-ठांम रे।सोभागी।
पडिलेहां विण पड़िया रहै रे लाल, यांरा किण विध सीझसी काम रे। सोभागी।। भाव. १२ भंड-उपगरण नै पातरा रे लाल, वस्त्र-उपध अनेक रे। सोभागी।
इधका राखै जांण नैं रे लाल, ए 'बुडै '२ बिनां ववेक रे। सोभागी।। भाव. १३ किरिया मैं काचा घणा रे लाल, कह्यौ कठा लग जात रे। सोभागी।
समकत-रतन जिण भाखियै रेलाल, ते पिण न आयौ हाथ रे। सोभागी।। भाव.
१. साधु के लिए स्थापित।
३. डूब रहे हैं।
२. ढेर।
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भिक्खु जश रसायण