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दूहा
चाया
१ अवसर' काळ आय लगो, सूत्र भणवा ।
सुध कर-कर सांमजी, सिष नै अर्थ बताय।। २ जोर करै घणी जुगत सं, ओर ही अर्थ अनेक।
उदमी छै नहीं आलसू, सांमी सुध ववेक।। ३ फोरी' असाता फेरा तणी, मिटावण मुनि सोय।
ओषध लीया अणायन, पिण काम न आयौ कोय। ४ वले पूनम रे दिन पूजजी, उठता गोचरी आप।
ओषध आंण खाधी खरी, वेदन रही छै व्याप।। ५ हिवै आगा उपर आदरी, साचे मन सांमीनांथा कार्य सुधारै किण विधे, सांभळजो
साख्यात।
(कामणगारो छै कूकड़ोरे) १ साध भीखूजी तिण अवसरे रे, आउ नेरो आयौ जांण। करे आलोवण किण विधे रे, साचा-साचा चुतर सुजाण।
सुणजो आलोवण सांमी तणीरे॥ २ आज पहली इण जीवड़े रे, हिंस्या कीधी हुवै कोय।
मन वचन काया करी रे, 'मिछामी दुकडं' छै मोय।। सुणजो. ३ क्रोध मांन माया लोभ सूं रे, झूठ कह्यौ हुवै कोय।
जांणता नै अजाणतां रे, 'मिछामी दुकडं' छै मोय।। सुणजो. ४ अदत्त पांच प्रकार नों रे, सेव्यो सेवायो हुवै सोय।
भलौ जाण्यौ हुवै सेवतां रे, 'मिछामी दुकडं' छै मोय।। सुणजो. ५ ममता धरी हुवै महीथून सूं रे, सूतां जागता जोय।
मन वचन काया करी रे, 'मिछामी दुकडं' छै मोय।। सुणजो.
१.काल/मृत्यु का अवसर निकट आने लगा। ३. दस्त उसके बाद संलेखणा की वत्ति स्वीकार की। ४. उठ्या. क्व.। २. थोड़ी
५. मिछामि दुकरो (भाषा-भेद)।
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भिक्खु जश रसायण