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________________ १ आख्यौ द्वितीय खण्ड रे, असि आ उ सा नै मुनि वर्णन महि मंड रे, तीजौ खण्ड निसुणौ तृतीय खण्ड सोरठा दूहा २ चारित' लीधौ चूंप सूं, पाखंड - पंथ ३ 'उदै-उदै पूजा" तिण सूं पूज प्रगट भवीयण रै मन भावता, हूआ मोटा कही, समण-निग्रंथ नीं थया, ए जिण वचन कही, समण निग्रंथ नैं ४ ओपम तो आछी चोरासी अति दीपती, अणुजोगवार ५ वले 'दसमां अंग अधिकार मैं", तीस ओपमा समण भीक्खू नै सोभती, भाख ६ वले षट् दस दीधी ओपमा, बहुश्रुती 'उत्तराधेन श्री वीर ७ इण अणुसारै सूत्र कही ओपम गुण आछा घणा, तिण रौ तीर्थंकर ८ गुणवंत गुर नां गुण गावतां, हिवै ओपम सहित गुण वर्णवूं, ते १. अ- अरिहंत, सि-सिद्ध, आ-आचार्य, उउपाध्याय, सा- साधु । २. मुनि वैणीराम जी (२८) कृत 'भिक्खु - चरित' की चौथी ढाळ है। जयाचार्य ने इसको इसी रूप में 'भिक्षु जश रसायण' में नामोल्लेखपूर्वक स्थान दिया है। भिक्खु जश रसायण : ढा. ४३ इग्यारमें ६, औळखौ, भीक्खू नै भली पार न कोई नाम - गोत चित गया सुज नै कह्यौ प्रणम । तुम्हे ॥ निवार | अणगार ॥ जांण । प्रमांण ॥ श्रीकार । मझा ॥ तंत। भगवंत ॥ श्रीकार | विस्तार || भंत । पामंत ॥ बंधाय । ल्याय॥ ३. उत्तरोत्तर पूजा (पज्जोसवणा कप्पो सूत्र ९१) ४. अनुयोगद्वार -४ ५. प्रश्न व्याकरण, अध्ययन १०, सूत्र ११ । ६. उत्तराध्ययन, अ. ११, गा. १५ से ३०|) १४७
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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