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२९ ऋषपाल जिम छै तिम राखै', पूरौ न पळे पंचम-काळ भाखै।
तेलौ तीन दिनां रौ ते काळ, हिवड़ा पिण तीन दिवस नों न्हाळ।। ३० दिख्या लेऊ पिण आंसू तौ आय, जमाई रोयां सोभ न पाय।
बाल-विधवा देखी लोक रोय, तिण रा कांम-भोग वांछै सोय। ३१ डावरा रै माथै दीयां द्वेष, लाडू दीधौ ते राग संपेख।
जाटणी रौ उदक जाच्यौ जाय, चारौ नीऱ्या दूध दै गाय।। ३२ और गण रौ थारै माहै आय, तिण नैं दिख्या देइ लेवौ माय।
नरक मैं जाय कुंण तसं तांणै? पत्थर नैं कुए तळि कुंण आंणैः ।। ३३ कुंण स्वर्ग ले जावै ताय? काष्ट जल पर कुंण ठहराय? __पइसौ डूबै, वाटकी तिराय, संजम तप सूं हळको इम थाय ? ३४ पात्रा रै रंग कुंथवा दोहरा, काळा लाल सूं देखणा सोहरा।
म्हारै केलू सूं रंगवा रा भाव, कचौ कैलू छोडै किण न्याव? ३५ कुजागा रा करै एक माथै, एक करज मेटै निज हाथैः।
चोर हिंसक कुसीळिया तीन, त्यांरा तीन दृष्टंत सुचीन। ३६ कीडी नैं कीडी जाणै ते नांण, पिण कीड़ी ज्ञान मत जांण। ___ साधु थाका नैं गाडै बैसाण, किणहि गधै बैसाण्यौ जांण। ३७ पुन्य मिश्र ऊपर अवलोय किण री एक फूटी किण री दोय।
पोळ बारी खोली दिशा बार, देखी हेम नैं उत्तर उदार।। ३८ थोथा चणा री भखारी विख्यात, उंदरां रड़बड़ की सारी रात”।
कोयलां री राब वासण काळा, वले आंधा जीमण परुसण वाळा' ।। ३९ तार काढौ, कालै तार कांइ! थां. डांडा ही सूझै नाहीं।
वाय-वंग घरटी उड्यै जाय, दोष थाप्यां संजम किम ठहराय? ४० एकलड़ौ जीव कहै किण लेख, त्यारै लेखै ही चौलड़ौ देख।।
वस्त्र राख्यां सी परिसह थी भाजै, तो अन सूं प्रथम रहै किण लाजै॥ ४१ श्वेताम्बर शास्त्र थी गृह छंड, तिण सूं राखां छां तीन सुमंड।
अनार्य कहै दया नैं रांड, करै कपूत माता नैं भांड।। ४२ डाकणीया डरै गारडू आयां, साधु आयां पाखंडी भय पाया।
कड़वा पकवान जुर सूं कहाय, मिथ्या जुर सूं साधू न सुहाय ।।
१. रहस्य।
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भिक्खु जश रसायण