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३ बेहड़ौ तौ माथै पांणीसूं भर्यो रे लाल, पोता रै घर आवतां पेख रे सुगुण नर। ____ मारग मैं तिणरी वाहिली मिली रे लाल, वातां करवा लागी विसेख रे सुगुण नर। सुण. ४ एक घड़ी तांइ तौ ऊभां थकां रे लाल, हिलमिल वातां करी हरखाय रे सुगुण नर।।
पछै घर आवी निज पीउ भणीरे लाल, तिण हेलौ पाड्यौ ताय रे सुगुण नर॥ सुण. ५ तुरत घड़ी उतारौ मुझ सिर तणौ रे लाल, जो किंचित वेला थी भरतार रे सुगुण नर।
बेहड़ौ उतार्यो तिण बैर नौ रे लाल, तौ क्रोध मैं आई अपार रे सुगुण नर॥ सुण. ६ कहै म्हारै माथै तौ बेहड़ौ उदक नौ रे लाल, सो हूं भाया मूंइ घणी सोय रे सुगुण नर।
थांनै तो मूळ सूझै नहीं रे लाल, जिण सूं वेळा इतरी लगाई जोय रे सुगुण नर। सुण. ७ संसार तणै लेखै सही रे लाल, नार इसी अविनीत रे सुगुण नर।
रसतै एक घड़ी बेहड़ा छतां रे लाल, पोतै बातां करी धर पीत रे सुगुण नर।।सुण. ८ किंचित जेज' पीउ करी रे लाल, तड़का-भड़का करवा लागी तांम रे सुगुण नर।
इसड़ी अजोग ते असतरी रे लाल, अविनीत जग कहै आंम रे सुगुण नर।।सुण. ९ अविनीत साधू एहवौ रे लाल, गोचरीयादिक माहि रे सुगुण नर।
किणहि बाइ भाइ सूं वातां करै रे लाल, एक घड़ी तांइ ऊभां ताहि रे सुगुण नर।। सुण. १० अथवा दर्शण देवा कोई भणी रे लाल, झट चलायनै परहो जाय रे सुगुण नर।
तिहां ऊभां घणी वेळा लगै रे लाल, वातां करै-वणाय वणाय रे सुगुण नर॥ सुण. ११ वड़ा थोड़ोई काम भळावीयां रे लाल, करतां कठमठाठा करै जेह रे सुगुण नर।
तथा पांणी राख्यौ ते लेवा मेलीयारे लाल, टाळाटोळौ कर देवै तेह रे सुगुण नर।। सुण. १२ अथवा जातौ दोहरौ हुवै रे लाल, वले देवै मुंह विगाड़ रे सुगुण नर।
गुर शीख दीयै चूकती पड़यां रे लाल, तौ करै उळटौ फूंकार रे सुगुण नर।। सुण. १३ अविनीत साधु नैं दीधी ओपमा रे लाल, अविनीत अस्त्री नी भीक्खू आप रे सुगुण नर।
इम सांभळ उत्तमां नरां रे लाल, थिर चित सुविनय थापरे सुगुण नर।।सुण. १४ वले विनीत-अविनीत री चोपी विषै रे लाल, आख्या दृष्टंत अनेक रे सुगुण नर।
संखेप थकी कहूं छू सही रे लाल, सांभळजो सुविवेक रे सुगुण नर।।सुण. १५ अविनीत नैं थावरीया नी ओपमारे लाल, गर्भवती मैं कहै डाकोय रे सुगुण नर।
पुत्र हुसी 'पुन्य-आगलौ०' रे लाल, पाडोसण नैं कहै पुत्री होय रे सुगुण नर।। सुण. १. दो घड़े।
६. टालमटोल। २. सहेली।
७. भूला ३. पत्नी।
८. कहै है। ४. विलंबा
९. डाकोत/देशांतरिया/सनिचरिया/तेलिया ५. उत्तर-पडुत्तर।
१०. पुण्यवान।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ४१
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