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________________ २ स्वाम कहै तुम्हें सांभळो, गारडू आवै गांम। डाकणीयां नैं काढण भणी जद, कहौ डरै कुंण तांम? भीक्खू. ३ प्रभाते नीला कांटां मझै रे, बाळसां डाकणीयां नै बोलाय। तौ धसका पड़ें डाकणीयां तणें, तथा न्यातीलां रै पडै ताय।। भीक्खू. ४ दूजा तौ लोक राजी हुवै रे, त्यां रै तौ चिंत न काय। जांणै उपद्रव सैहर तणों मिटै, तिण सूं और तौ हरखत थाय।। भीक्खू. ५ ज्यूं गांम मैं साध आयां छतां रे, भेषधाऱ्यां रै धसका पडत। कै त्यांरा श्रावकां रै धसका पड़े, भारीकर्मा तौ इम भिडकंत॥ भीक्खू. ६ वारू सरधा आचार वताय नैं, देसी म्हांनैं ओळखाय। त्यारै धसका पडै तिण कारणै, हळुकर्मी तौ मन हरखाय।। भीक्खू. ७ उत्तम मन इम चिंतवै रे, सुणसां साधां रा बखांण। दांन सुपात्र देइ करी, करसां आतम तणां किल्यांण। भीक्खू. ८ कुगुरां रा पखपाती भणी रे, संत मुनि न सुहाय। दिष्टंतरे स्वाम दीयौ इसौ, ते तौ सांभळजो सुखदाय॥ भीक्खू. ९ जुर२ वाळौ गयौ जीमवारे, जीमणवार मैं जांण। पकवांन तौ कडवा घणा, वद-वद कहै लोकां नैं वांण। भीक्खू. १० लोक कहै-लागै घणां रे, प्रगट मीठा पकवांन। __तुझ शरीर मैं ताव है, जिण सूंकडुआ लागै छै जान।। भीक्खू. ११ ज्यूं मिथ्यात-रोग जाडौ हुवै, संत तास न सुहाय। हळुकर्मी हीयै हरखता, चित मैं मुनि-दर्शण चाय।। भीक्खू. १२ भूखां मरता रोटी वासतै रे, सांग साधु नों धारंत। त्यांने कहै चारित चोखौ पालजौ, जद स्वाम दीयौ दृष्टंत ॥ भीक्खू. १. मंत्रवादी। २. भि. दृ. ३०३। ३. ज्वर। ४. बढ़-बढ़ कर। ५. सघन/गहरा। ६. वेप। ७. भि. दृ. ३०२। ११२ भिक्ख जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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