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३ आया दोय जणा रे तिण अवसरै, सांमदासजी रा साधो जी।
खांधे पोथ्यां तणा जोड़ा खरा, मैंला वस्त्र मर्यादो जी॥ आज. ४ विहार करंता उपात्रै आवीया, बोलै मुख सूं बोलो जी।
कठै भीखनजीरे भीखनजी कठै? तब भीक्खू बोल्या तोलो जी।। आज. ५ भीखन नाम म्हारौ स्वामी भण, वलि ते बोल्या विसेखो जी।
थांनै देखण री मन मैं हुंती, तब स्वाम कहै तुम देखौ जी॥ आज. ६ वलि उवे बोल्या थे सगली वारता, आछी कीधी अमांमोजी।
एक बात आछी नहीं आदरी, तब पूज कहै-कहौ तामो जी॥ आज. ७ वलि ते कहिवा रे लागा वारता म्हे बावीस टोळा रा साधो जी।
त्यां सगला नैं असाध कहौ तिका, विरुइ बात विराधो जी। आज. ८ मुनि भीक्खू कहै-तुझ टोळा मझै, लिखत इसौ अवलोयो जी। __ इकवीस टोळा रौ तुझ गण आवीया, संजम देणौ सोयो जी॥ आज. ९ ऐसौ लिखत थांरा गण मैं अछै, जांणौ कै थे न जाणौ जी?
जद उवे बोल्या-रे म्हे जांणां अछां, छै मुझ लिखत अछांनौजी'। आज. १० भीक्ख पभणै-इकीस टोळां भणी, थेइज प्रत्यख उथाप्या जी।
गृही नैं दिख्या देइ लौ गण मझै, थे गृही तुल्य त्यांनै ई थाप्या जी।। आज. ११ इकवीस टोळा रा तुझ गणआवीयां, दिख्या दे लेवौ माह्यौ जी।
गृही नैं दिख्या देइ लौ गण विषै, गृही तुल्य तास गिणायो जी॥ आज. १२ इकवीस टोळा इमथेइज उथापीया, तुझ टोळी रह्यौ तेहो जी।
तिण रौ लेखौ वतावू तो भणी, सांभळजो ससनेहो जी।। आज. १३ डंड बेला रौ आवै जिण भणी, तेलौ देवै तहतीको जी।
तेला रो डंड आवै तिण भणी, श्री जिन वयण सधीको जी।। आज. १४ इकवीस टोळां नैं साध सरधौ अछौ, वले नवौ साधपणों देवौ जी।
तिण लेखै दिख्या रे तुझ आवै नवी, विवेक लोचन सूं वेवो जी।। आज. १५ थांरौ टोळौ पिण इण लेखा थकी, ऊथप गयौ उवेखो जी।
इम वावीस टोळा ऊथप गया, दंभ तजी नैं देखो जी।। आज. १६ एम सुणीनै ते बोल्या-इण विधै, वारू वयण विचारी जी।
सुणौ भीखनजी! रे साची वारता, बुद्धि तौ थारी भारी जी।। आज. १. ज्ञात।
२. विचारो।
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भिक्खु जश रसायण