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२ धर देव गुरु नै धर्म, पद तीन दिखाया पर्म हो। भीक्खू.
सुद्ध सरध्यां समगत सार 'धुर सिव पावडीयो' धार हो । भीक्ख. ३ दीयौ गुरु ऊपर दृष्टंतरे, लकड़ी रौ डांडी रौ तंत हो।। भीक्खू.
तीन बेच डांडी रै समीच बिहुं पासे नै इक बीच हो। भीक्खू. ४ विचलै लै फरकज बांण, कहियै तसुं अंतरकांण हो। भीक्खू ...
तसुं विचलौ बेच हुवै तंत, कोइ अंत्रकांणी न कहंत हो। भीखू ... ५ ज्यूं देव गुरु धर्म जांणी, पद गुरु नौं बीच पिछांणी हो। भीक्ख ... ___गुर' होवै सुद्ध गुणवंत, तौ देव धर्म कहै तंत हो। भीक्खू ... ६ होवै गुर हीण आचारी, वलि सरधा भृष्ट विचारी हो। भीक्खू...
पाडै देव माहै पिण फेर, धर्म मैं पिण कर दै अंधेर हो। भीक्खू ... ७ गुर मिलै ब्राह्मण ततखेव, तौ देव कहै महादेव हो। भीक्खू ...
अनैं धर्म वतावै एह, जन विप्र जीमावै जेह हो। भीक्खू ... ८ भोपा गुरु मिलै भर्माजा, देव कहै-देव धर्मराजा हो। भीखू ...
'सुरह गाय नों वाहरुसावौ' धर्म पाती ल्यौ भोपा जीमावौ हो। भीक्खू ... ९ गुरु मिलै कांबरिया कहै जी, देव वताय देवै राम देजी हो। भीक्खू ...
धर्म कहै कांबर जीमावौ, वले जमा री रात्रि जगावो हो॥ भीक्खू ... १० अरु गुरु मिल जावै मुल्ला, तौ देव वताय दै अल्ला हो। भीक्खू ...
धर्म जबै करण जलपंता, 'ऐर चरंति आदि कहता हो। भीक्खू ... ११ जो गुरु मिलै हिंस्या धर्मी, कहै निगुणा देव कुकर्मी हो। भीखू ...
धर्म फूल-पांणी मैं थापै, सूतर नां वचन उथापै हो।। भीक्खू ...
१. मोक्ष का पगथिया (पेड़ी)। २. भि. दृ. २९३। ३. छिद्र। ४. समीचीन-अच्छी तरह। ५. तराजू में पदार्थों को तोलते समय
खाली पलड़े में एक तरफ तराजू का
झुकाव। ६. अंतरकाणी (क)। ७. गुरु (क)। ८. भ्रष्ट (क) ९. सौरभेयी-काली गाय का नांदिया।
१०. १ एर चरंति मेर चरंति, खेर चरंति.
बहुतेरा। हुकम आया अल्ला साहिब रा,
गला काटूंगा तेरा।। २ ए साखी पढ पापिया, कती करै
पर जीव। तै पाप उदय आयां छतां, पांमै दुख अतीव॥
भिक्खु जश रसायण : ढ़ा. २४
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