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२९ और मर्म म राखौ, आ महा गुणवंती रे।
सत्यवंती 'सती, सुद्ध माग चलंती रे॥ भीक्खू. ३० समाचार
प्रयोगे, पतिव्रता हरखांणी रे। और भर्म नहीं, तिमहिज म्हे जांणी रे॥ भीक्खू. ३१ भगवान रा गुण म्हे, विध रीत बतावां रे।
सिव संसार नौं, मारग ओळखावां रे॥ भीक्खू. ३२ झीणी - झीणी म्हे, सूत्र रहिस बतावां रे।
लोभ - रहितपणे, भिन्न-भिन्न दरसावां रे॥ भीक्खू. ३३ दुख नरक-निगोद नां, दूरा टळ जावै रे।
ते वातां कहां, तिण कारण चाहवै रे॥ भीक्खू. ३४ घणा लोक-लुगाई, इण कारण राजी रे। गांमोगांम
थी, वीनतियां ताजी रे॥ भीक्खू. ३५ कवडी नहि मांगां, सिव पंथ बतावां रे।
नर-नाऱ्या भणी, इण कारण सुहावां रे।। ३६ कासीद निर्गुण थौ, पिण पीउ समाचारो रे।
तिण मुख सूं कह्या, तिण सूं हरखी नारो रे॥ ३७ म्हे महाव्रतधारी, जिन वयण सुणावां रे।
बिहुं२ प्रकार सूं, नर-ना- नैं सुहावां रे।। ३८ नरपति सुरपति पिण, रांण्यां इंद्रांणी
ते मुनिवर भणी, निरखै हरखांणी रे॥ ३९ मुनि नौ अभरोसौ, कोई नहीं राखै
अणसमजूरे तिकौ, मन ज्यूं भाखै ४० ठाकुर मोहकमसींग, सुणनै हरखांणो
सत्य वच आप रा, स्वामी वयण सुंहांणो ४१ ऐसा भीक्खू स्वामी, बुद्धि अधिक उदारी रे।
उत्तर अति भला, सुणतां सुखकारी रे॥
१. भ्रम (क)। २. बहु (क)।
३. अण समझू (क)।
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भिक्खु जश रसायण