SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 207
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ षष्ठः सर्गः १८१ इसीलिए रात्री चंद्रमारूपी दीपक को प्रज्वलित कर तारकगणरूपी सुमनों से कमल की भाति सुशोभित होकर चमक रही थी। उसने आकाश को प्रकाशमय, शुभ्र तथा स्वच्छ बना डाला । उसी रात में शीतज्वर ने उत्सुकता के साथ भिक्षु के बलिष्ठ शरीर को तीव्रता से आक्रान्त कर डाला और उसे अत्यन्त दुर्बल बना दिया। . २४. शिशिरे तुहिनाचलशीतलता, परिशीलितमीलितमारुतिकम् । लगति स्फिरशीतमतीतमतं, वपुरुच्छलति ज्वलति ज्वरतः॥ .. उस समय उन्हें शिशिरकालीन हिमगिरि की शीतलता के समान शीतमिश्रित वायु की ठंडक से तीव्र सर्दी लग रही थी। उनका समूचा शरीर उछल रहा था और साथ-साथ ज्वर से जल भी रहा था। २५. घनघोरकठोरकृपाकृपणकुपितारिकृपाणकुपात इव । मथनोन्मथनं व्यथनोव्यथनं, समगादऽसुखं विमुखं प्रमुखम् ॥ अति निष्ठुर हृदय वाले कुपित शत्रु की तीक्ष्ण तलवार से लगी हुई मार्मिक चोट की तरह ही उस तीव्र शीत ज्वर से उनके अप्रिय एवं असह्य वेदना हो रही थी। उनका शरीर अत्यन्त उन्मथित और व्यथित हो रहा था। २६. नहि सीदति साधुजनो व्यथनान्, निजकर्मविपाकमवेत्य महान् । कृतकर्मफलं विफलं रचितुं, ह्यनुभूतिमृते नहि कोपि विभुः ॥ संतजन व्यथा से खिन्न नहीं होते। वे जानते हैं कि यह स्वकृत कर्मों का ही विपाक है। किए हुए कर्मों के फल को भोगे बिना कोई भी प्राणी उनको विफल नहीं कर सकता। २७. धृतिधारिधुरंधरभिक्षुमुनिः, सहते सहनः समभावतया । तडिता घनवेगरयनिहतः, कलते किमु मेरुरुदेजनकम् ।। धैर्य धारण करने में धुरंधर सहनशील महामना भिक्षु उस ज्वरोत्पन्न वेदना को समभाव से सहते रहे। क्या मेघ के प्रचंड वेग के साथ विद्युत् से आहत होकर मेरु पर्वत कभी प्रकंपित होता है ? २८. समयज्ञफलं समिते समये, प्रशमोपशमामृतशोलनता। स्थिरतां भजते समराभिमुखे, स हि वीरवरो रणधीरवरः॥ समयज्ञता और सहनशीलता का परिचय तो समय आने पर ही मिलता है । वही सच्चा वीर एवं प्रशस्त योद्धा है जो युद्ध के मोर्चे पर डटा रहता है।
SR No.006278
Book TitleBhikshu Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Nagrajmuni, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages350
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy