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पाइयपडिबिंबो
ललितांगकुमार की जाति के विषय में पूछा। तब सज्जन ने कपटपूर्वक कहा-हम दोनों श्रीवास नगर के रहने वाले हैं। मैं राजा नरवाहन का पुत्र हूं और ललितांगकुमार तुच्छ जाति का है। मेरा अपने परिवार के साथ झगड़ा हो गया । मैं वहां से घूमता हुआ यहां आ गया। इसने मुझे देख लिया । मैं इसकी जाति के विषय में किसी को कुछ न बताऊं ऐसा सोचकर इसने मुझे यहां रख लिया । इसने किसी महात्मा से विद्या प्राप्त कर आपकी पुत्री के नेत्र ठीक कर दिये । आपने अपनी प्रतिज्ञानुसार इसके साथ अपनी कन्या का पाणिग्रहण कर दिया और इसे आधा राज्य दे दिया ।
सज्जन के मुख से अपने जामाता की जाति के विषय में सुनकर राजा जितशत्रु ने सोचा--जामाता की जाति प्रकट न हो उसके पूर्व ही इसे मार देना चाहिए। ऐसा चिंतन कर उसने जामाता को मारने की एक गुप्त योजना बना कर कुछ वधक व्यक्तियों को रात्रि में राजा ललितांग के महल के बाहर छिपने का आदेश देकर कहा-रात्रि के दस बजे बाद जो भी महल के बाहर आये उसे मार देना। तत्पश्चात् उसने एक विश्वस्त व्यक्ति को एक पत्र देकर जामाता के पास भेजा। उसने राजा ललितांग को पत्र दे दिया। राजा ललितांग ने पत्र खोलकर पढ़ा । उसमें लिखा था-रात्रि के दस बजे आपसे कोई आवश्यक कार्य है, अतः आपको अवश्य आना है। राजा ललितांग ने पत्र पढ़ा। वह जाने की तैयारी करने लगा। उसकी पत्नी पुष्पावती ने पूछा-अभी आप कहां जा रहे हैं ? उसने कहा-कोई आवश्यक कार्य है अतः राजा जितशत्रु ने बुलाया है । पुष्पावती ने कहा- 'रात्रि के इस समय आप न जायें, पहले आपके मित्र सज्जन को वहां पिताजी के पास भेज दें। फिर भी कोई आवश्यक कार्य हो तो आप जायें।' राजा ललितांग को पत्नी का सुझाव उचित लगा। उसने सज्जन को बुलाया और राजा जितशत्रु के समीप जाने का कहा। सज्जन प्रसन्न मन से ज्यों ही घर से बाहर निकला त्यों ही कुछ छिपे वधकों ने उसे मार डाला। मरते समय सज्जन के मुख से भयंकर शब्द हुआ। उसे सुनकर राजा ललितांग और पुष्पावती दोनों चौंके- क्या हुआ ? वे बाहर आये। सज्जन को मृत देखकर पुष्पावती ने ललितांगकुमार से कहा- यदि इस समय आप जाते तो......! - 'राजा जितशत्रु का ही यह षड्यंत्र है' ऐसा सोचकर राजा ललितांग कुपित हो गया । उसने अपनी सेना तैयार की और अपने श्वसुर राजा जितशत्रु के राज्य पर आक्रमण कर दिया। घर में युद्ध छिड़ा देखकर राजा जितशत्रु को दुःख हुआ। उसने राजा ललितांग से पूछा-आपकी जाति क्या है ? राजा ललितांग ने रोष भरे शब्दों में कहा—मेरा भुजाबल ही इसका उत्तर देगा । मंत्री ने यह सब देखा । उसने राजा जितशत्रु से जामाता