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________________ पाइयपडिबिंबो ललितांगकुमार ने कहा—धार्मिक सुखी होता है । सज्जन ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा-धार्मिक दुःखी होता है और अधार्मिक सुखी। यदि तुम धर्म को छोड़ देते तो क्यों दुःख का अनुभव करते ? ललितांगकुमार ने कहा-यदि पिताजी के हृदय में धर्म का वास होता तो वे मुझे ऐसा आदेश नहीं देते । दोनों अपने-अपने विचारों पर दृढ़ थे । आखिर निर्णय लियाकिसी व्यक्ति से पूछा जाये। सज्जन ने कहा-यदि तुम हार गये तो क्या दोगे? ललितांगकुमार ने कहा- मैं अपना घोड़ा और आभूषण तुम्हें दे दूंगा। सज्जन ने कहा -- यदि मैं हार गया तो आजीवन तुम्हारा दास बना रहूंगा। दोनों आगे चले । रास्ते में एक वृद्ध मिला। उन्होंने प्रश्न पूछाधार्मिक सुखी होता है या अधार्मिक । वृद्ध ने कहा-अधार्मिक । ललितांग की पराजय हुई । उसने अपने आभूषण, घोड़ा सज्जन को दे दिये। दोनों आगे चले । ललितांगकुमार ने कहा- कैसा विचित्र समय आ गया। मनुष्यों की बुद्धि में भी परिवर्तन आ गया। वे कहते हैं-धार्मिक दुःखी होता है और अधार्मिक सुखी। किंतु मेरे मन में दृढ़ विश्वास है कि धार्मिक ही सुखी रहता है।' सज्जन ने ललितांगकुमार को इस प्रकार विचार करते देखा। उसने पुनः किसी से पूछने को कहा । ललितांग तैयार हो गया। सज्जन ने शर्त रखते हुए कहा -यदि मैं हार गया तो तुम्हारे आभूषण और घोड़ा दे दूंगा। यदि तुम हार गये तो . क्या दोगे? ललितांग ने कहा- मैं अपनी आंखें दे दूंगा । इस प्रकार शर्त कर दोनों आगे बढ़े। पुनः एक वृद्ध मिला। उन्होंने उससे पूछा-धार्मिक सुखी होता है या अधार्मिक ? उसने कहा-अधार्मिक सुखी देखा जाता है और धार्मिक दुःखी । सज्जन जीत गया। उसने ललितांगकुमार से उसकी आंखें मांगी। तब ललितांगकुमार को मालूम हुआसज्जन कैसा है। फिर भी अपनी प्रतिज्ञा को निभाने के लिए उसने सज्जन को अपनी आंखें निकाल कर दे दी। सज्जन उन्हें लेकर चला गया। ललितांगकुमार एक वट वृक्ष के नीचे बैठ कर नमस्कार महामंत्र का जप करने लगा। संध्या के समय कुछ भारंड पक्षी उस वृक्ष के ऊपर आये । वे परस्पर बातें करने लगे। ललितांगकुमार पक्षियों की भाषा जानता था, अतः वह ध्यान से उनकी बातें सुनने लगा । उन भारंड पक्षियों में से एक ने कहा--'यहां से पूर्व दिशा में चंपानगरी है । जितशत्रु वहां का राजा है । उसकी पुत्री की आंखें चली गई हैं। राजा ने घोषणा कराई है-जो उसकी पुत्री की आंखें ठीक कर देगा उसे वह आधा राज्य देगा तथा उसके साथ अपनी पत्री की शादी कर देगा।' तब एक अन्य भारंड पक्षी ने उससे पूछा-राजकुमारी की आंखों की ज्योति कैसे आयेगी ? उसने उपाय बताते हुए कहा-यदि
SR No.006276
Book TitlePaia Padibimbo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages170
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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