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________________ 5 का परीक्षण करने के पश्चात् ही शंकराचार्य ने भाष्य लिखा है । इनमें से अधिकांश किसी न किसी वेद से सम्बद्ध हैं । उपनिषदों में जीवात्मा, परमात्मा, जगत् आदि दार्शनिक सिद्धान्तों की उपस्थिति है। उपनिषद् वैदिक साहित्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंश है । वे ज्ञान के वास्तविक प्रतिनिधि हैं और भौतिकवाद से विमुख करने के माध्यम हैं । वेदाङ्ग वेदों के वास्तविक अर्थ को समझाने के लिए जो सक्षम हैं उन्हें " वेदाङ्ग” कहते हैं । उनके द्वारा मन्त्रों के अर्थ, व्याख्या और यज्ञादि में सहयोग आदि के कारण इनका अपना महत्व है । वेदाङ्ग छ: हैं- ये सभी वेदाङ्ग सूत्र शैली में निबद्ध हैं शिक्षा, व्याकरण, छन्द, निरुक्त, ज्योतिष और कल्प । पुराण " पुराण" का अर्थ है - प्राचीन ( पुराना ) । इन ग्रन्थों में प्राचीन कथानक, वंशावलि, इतिहास, भूगोल ज्ञान विज्ञान आदि का समावेश है । पुराण ज्ञान के कोश माने गये हैं। इनमें आचार-विचार, व्यवहार तथा जीवन से सम्बद्ध समग्र उपयोगी तथ्य मिलते हैं तथा ये प्राचीन इतिहास और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। पुराणों की संख्या 18 है- मत्स्य, मार्कण्डेय, भविष्य, भागवत, ब्रह्माण्ड, ब्रह्मवैवर्त, ब्रह्म, वामन, वराह, विष्णु, वायु, (शिव), अग्नि, नारद, पद्म, लिङ्ग, गरुड, कूर्म, और स्कन्द पुराण । सभी पुराणों की श्लोक संख्या लगभग चार लाख हैं ।" उपपुराणों की संख्या भी 18 ही है । इनके नाम इस प्रकार हैं सनत्कुमार, नारसिंह, स्कान्द, शिवधर्म, आश्चर्य, नारदीय, कपिल, वामन, औशनस, ब्रह्माण्ड, वारुण, कालिका, माहेश्वर, साम्ब, और पाराशर, मारीच, भार्गव । संस्कृत भाषा में निबद्ध जैन और बौद्ध धर्म के भी अनेक पुराण मिलते हैं । - जैन पुराण : प्रमुख रूप से जैन तीर्थङ्करों तथा शलाका पुरुषों के चरित्र विश्लेषित हुए हैं । जैन पुराणों में आचार्य जिनसेन का आदि पुराण, गुणभद्र का उत्तर पुराण, जिनसेन (द्वितीय) का हरिवंश पुराण, रविषेण का पद्मपुराण, हेमचन्द्र का त्रिषष्ठिशलाका पुरुष चरित आदि विशेष प्रसिद्ध हैं ।12 जैन पुराण वैदिक पञ्चलक्षणी न होकर "पुरातनं पुराणं स्यात्तत् महन् महदाश्रयात्" लक्षण का अनुसरण करते हैं । बौद्ध पुराण : बौद्ध पुराणों में आख्यान, इतिहास, बौद्धों के वृत्तादि और प्रधान - प्रधान तथागतों की जीवनी वर्णित है । बौद्ध धर्म से सम्बन्धित पुराणों की संख्या नौ है । नेपाली बौद्ध नौ के अतिरिक्त दो और पुराण मानते हैं । I संस्कृत में निबद्ध धर्म साहित्य : " धर्मशास्त्रं तु वै स्मृति: ' मनु के अनुसार स्मृति साहित्य के अन्तर्गत धर्मशास्त्र का अध्ययन होता है । इस प्रकार स्मृति एवं उप-स्मृति ग्रन्थों की संख्या लगभग 100 है । किन्तु इस साहित्य में महामानव मनु द्वारा विरचित ग्रन्थ " मनु स्मृति" सर्वश्रेष्ठ रचना है । यह 12 अध्यायों में विभाजित 2694 श्लोकों में निबद्ध कृति है । इसकी शैली सरस और सरल है । " याज्ञवल्क्य स्मृति" में 1010 श्लोक हैं यह तीन
SR No.006275
Book Title20 Vi Shatabdi Ke Jain Manishiyo Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendrasinh Rajput
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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