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________________ 15. आत्मा और परमात्मा एक तुलनात्मक विवेचन, श्रमण, मार्च 1980 16. आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष (210204), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 17. इक्कीसवीं सदी की प्रमुख समस्याएँ और जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में उनके समाधान (210265), विजयानन्दसूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ 18. उच्चैर्नागर शाखा के उत्पत्ति स्थल एवं उमास्वाति के जन्मस्थान की पहचान (210302), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 19. खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की समन्वयात्मक एवं सहिष्णु दृष्टि (210432), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 20. गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास, श्रमण-जनवरी-मार्च 1992 21. गीता में नियतिवाद और पुरुषार्थवाद की समस्या और यथार्थ जीवनदृष्टि, प्राच्य प्रतिभा (पत्रिका), बिरला, केन्द्र भोपाल 22. जटासिंहनन्दी का वारांगचरित और उसकी परम्परा (210499), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 23. जैन एकता का प्रश्न?, श्रमण-जनवरी 1983 24. -जैन अध्यात्मवाद, आधुनिक सन्दर्भ में (210559), भवरलाल नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ 25. जैन आगमिक व्याख्या साहित्य में नारी की स्थिति का मूल्यांकन (210574), सज्जनश्री अभिनन्दन ग्रन्थ 26. जैन आगमों की मूल भाषा अर्द्धमागधी या शौरसेनी (210574), समन मुनि प्रज्ञामहर्षि अभिनन्दन ग्रन्थ 27. जैन आगम साहित्य में श्रावस्ती, अप्रकाशित 28. जैन आगमों की मूल भाषा अर्द्धमागधी या शौरसेनी (210575), विजयानन्दसूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ 29. जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ (210580), अष्टदशी 30. जैन आचार दर्शन एक मूल्यांकन (210584), केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ 31. जैन आचार में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न (210586) सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 32. जैन आचार में उत्सर्ग मार्ग और अपवाद मार्ग (210588), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 33. जैन साधना में ध्यान, यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रन्थ, मोहनखेड़ा जैन दर्शन में तत्व और ज्ञान 684
SR No.006274
Book TitleJain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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